
पटना। आसन्न बिहार विधानसभा चुनाव 2020 में एकबार फिर -बिहार में बहार है , नीतीशे कुमार है कि परचम लहराएगी। राज्य के विभिन्न जिलों और कसबों के चुनावी सर्वेक्षण के बाद इस बात की पूरी संभावना और संकेत मिलने लगे हैं कि आज की तारीख में भी इस प्रदेश में नीतीश का कोई जोड़ नहीं है। ऐसा इसलिए भी कि एनडीए के बड़े घटक बीजेपी के अंदर इतनी आत्मविश्वाश नहीं कि अकेले अपने दम पर वह चुनाव जीत ले सो वह अकेले चुनाव में जा नहीं सकती। दूसरा यह कि बीजेपी में मुख्यमंत्री योग्य कोई सर्वमान्य नेता भी नहीं जिसे सब का समर्थन प्राप्त हो। कुल मिलाकर सुशील मोदी और नंदकिशोर यादव। रही बात लोजपा की तो उसकी औकात ही कितनी है ? यही बात बिहार के जिलों और कसबों में सुनने को मिल रही है। मुहम्मद साबिर( खजौली-मधुबनी ) के अंडे की दुकान से लेकर सीमावर्ती क्षेत्र देवधा(जयनगर ) के लोहा व्यापारी देव कुमार कहते हैं कि वे आखिर किसे वोट दें ? कांग्रेस के तो दिन ही लद गए। राजद के अंदर आपस में ही दरार है। तेजप्रताप कभी कन्हैया बनकर मथुरा तो कभी वृंदावन में बांसुरी बजाता है तो कभी उसकी पत्नी ऐश्वर्या राधा की विरह वेदना में तप्त रहती हैं। ऐसे में भला इस काल ( कलियुग ) के कन्हैया का राज्यारोहण कैसे होगा। उधर ,भाई बलराम यानि की तेजस्वी की अपनी पीड़ा है। बलराम बड़े होकर भी कभी कृष्ण पर हावी नहीं हुए तो यहां सब उल्टा ही उल्टा है। पिता लालू प्रसाद कारागृह में बंदी जीवन गुजार रहे हैं।
लालू प्रसाद सत्ता से लंबे दिनों तक अलग रहने के बाद भी अपनी हैसियत बरकरार रखे हुए हैं।बिहार की राजनीति में नीतीश कुमार या फिर एनडीए गठबंधन को कोई एक व्यक्ति चुनौती दे सकता है तो वो सिर्फ लालू प्रसाद हैं पर लालू के अभी दिन खराब चल रहे हैं। एक तरफ जहां उनका पारिवारिक कलह है तो दूसरी तरफ उनका स्वास्थ्य भी साथ नहीं दे रहा है। स्थिति ऐसी हो गई है कि उनकी नेतृत्व वाली पार्टी राष्ट्रीय जनता दल भी लड़खड़ा गई है। कई दिग्गज नेता पार्टी छोड़ चुके हैं। ऐसे में भला कौन है जो नीतीश कुमार को चुनौती देगा ?मतलब साफ है। नीतीश की जीत पक्की। जमीन पर बहार हो या न हो पर नीतीश कुमार के राजनीतिक जमीन पर बहार का होना तय मानी जा रही है।