नई दिल्ली। इस साल की शुरुआत में नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में दिल्ली के शाहीन बाग में हुए प्रदर्शन पर सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला दिया और कहा कि कोई भी व्यक्ति या समूह सार्वजिनक स्थानों को ब्लॉक नहीं कर सकता है।
सुप्रीम कोर्ट ने शाहीन बाग में हुए प्रदर्शन पर कहा कि आवागमन का अधिकार अनिश्चित काल तक रोका नहीं जा सकता. संविधान विरोध करने का अधिकार देता है, लेकिन इसे समान कर्तव्यों के साथ जोड़ा जाना चाहिए. सार्वजनिक बैठकों पर प्रतिबंध नहीं लगाया जा सकता है, लेकिन उन्हें निर्दिष्ट क्षेत्रों में होना चाहिए। कोर्ट ने कहा कि शाहीन बाग में मध्यस्थता के प्रयास सफल नहीं हुए, लेकिन हमें कोई पछतावा नहीं है। शीर्ष अदालत ने कहा कि अधिकारियों को इस तरह के अवरोध को हटाना चाहिए।
बता दें कि शाहिन बाग में लोगों ने सीएए के विरोध में 100 दिन से ज्यादा समय तक रास्ता बंद कर दिया था, बाद में कोरोना फैलने के कारण के कारण लोगों को जबरन वहां से हटाया गया। अब सुप्रीम कोर्ट ने जो कहा है, वह निश्चित रूप से उन लोगों के लिए एक बड़ा झटका होगा, जो विरोध के लिए रास्ता अवरुद्ध करने को अपना अधिकार मान रहे थे।