व्यक्ति अपने विचारों से निर्मित एक प्राणी है, वह जो सोचता है वहीं बन जाता है यह मानना था महात्मा गांधी का। दो अक्टूबर को प्रतिवर्ष पूरा देश गांधी जयंती मनाता है। आज हम जानेंगे बिहार से बापू का नाता कैसा था, कैसे और कब वो पहली बार बिहार आएं। इसके साथ ही हम जानेगें कि बिहार में बापू के नाम पर किस किस शहर में क्या है ? 10 अप्रैल 1917 को पहली बार गांधी जी बिहार के धरती पर आएं। पहले पटना और फिर उसी दिन शाम को मुजफ्फरपुर के लिए रवाना हो गए। शाम में गंगा नदी पार कर हाजीपुर पहुंचे मुजफ्फरपुर कुछ दिन ठहरने के बाद 15 अप्रैल कोे मोतिहारी और फिर शुरू हुआ चंपारण सत्याग्रह। 10 अप्रैल 1917 को महात्मा गांधी जरूर बिहार पहली बार आए थे पर यह अंतिम बार नहीं रहा। इसके बाद भी महात्मा गांधी बिहार की धरती पर आते-जाते रहे। बिहार से गांधी जी का रिश्ता बहुत ही पुराना है। अगर हम बात करें बापू के अंतिम बिहार यात्रा कि तो 8 अगस्त 1947 को बापू बिहार अंतिम बार आए थे। 8 अगस्त 1947 को पटना विश्वविद्यालय के छात्रों को संबोधित कर कलकत्ता वापस हो गए थे। बिहार के इतिहास के पन्नों में महात्मा गांधी का नाम सदा अमर रहेगा और आज भी अगर हम देखें तो बापू के सम्मान में कई संस्थानों का नाम रखा गया है। इसके साथ ही जीता जागता उदहारण तो गांधी सेतु है। चलिए विस्तार से जानते है गांधी जी के नाम पर रखें गए सस्थानों और स्थलों का नाम –
1.पटना का गांधी मैदान – चंपारण आंदोलन और भारत छोड़ो आंदोलन 1942 में कई ऐसे स्वतंत्रता सेनानियों ने रैलियां निकाली थी। कई रैलियां आजादी के नायक गांधी जी ने भी यहीं से निकाली थी। इसलिए गांधी मैदान नाम पड़ा।





