पटना। तेजस्वी यादव के नेतृत्ववाली महागठबंधन से एक – एक कर सभी छोटे दल अपना रिश्ता तोड़ जा चुके हैं, अब इनमें एक और नाम झारखंड मुक्ति मोर्चा का भी जुड़ गया है। झारखंड में सत्ता संभाल रहे हेमंत सोरेन ने बिहार में महागठबंधन से अलग होकर चुनाव लड़ने का फैसला किया है। फिलहाल झामुमो नें बिहार में सात सीटों पर अपने कैंडिडेट उतारने का फैसला किया है।
राजद अध्यक्ष पर यह आरोप लगते रहे हैं कि अपने सहयोगी पार्टियों को अपमानित करते हैं। इसका उदाहरण हम, रालोसपा और वीआईपी भुगत चुकी है। अब इस लिस्ट में झामुमो भी शामिल हो गई है। महागठबंधन में प्रर्याप्त सीट नहीं मिलने से नाराज झामुमो बिहार में अकेले चुनाव लड़ने की घोषणा की है। बताया जा रहा है कि कांग्रेस और वामदलों के बीच सीटों के बंटवारे के बाद राजद ने बचे हुए 144 सीटों में से वीआईपी और झामुमो को सीट देने की घोषणा की थी, लेकिन वीआईपी इससे नाराज होकर गठबंधन से अलग हो गई। ऐसे में यह उम्मीद थी कि तेजस्वी झामुमो को प्रर्याप्त सीटें देंगे, लेकिन यहां भी तेजस्वी ने वही किया जो उन्होंने दूसरी पार्टियों के साथ किया था। झामुमो द्वारा 12 सीटों की मांग पर तेजस्वी के इनकार के बाद झारखंड के सीएम ने महागठबंधन से अलग होने की घोषणा कर दी है।
झारखंड में पड़ेगा असर
बिहार में जिस तरह तेजस्वी अपना राज चलाते हैं, झारखंड में हेमंत सोरेन की वही स्थिति है। फिलहाल झामुमो झारखंड में सत्ता पर काबिज है और महागठबंधन में होने के कारण राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद की सजा में कई प्रकार की सहायता दी जाती है। माना जा रहा है महागठबंधन से अलग होने का असर राजद को झारखंड में उठाना पड़ सकता है।